जैन धर्म

                                    जैन धर्म 

महावीर जैन धर्म के 24 वें एवं अंतिम तीर्थंकर हुए । इनका जन्म 540 ई . पू . में वैशाली के कुण्डग्राम में हुआ था । इनके पिता सिद्धार्थ ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे तथा माता त्रिशला ( विदेहदत्ता ) लिच्छवी राजा चेटक की बहन थी । 


महावीर का एक नाम निगंथनाथ पुत्त भी था । महावीर को 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद जृम्भिक गांव के पास ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ और वे जिन ( विजेता ) , अर्हत ( पूज्य ) तथा निग्रंथ ( बंधनमुक्त ) कहलाए । 

महावीर का विवाह कौण्डिन्य गोत्र की कन्या यशोदा के साथ हुआ । उनकी पुत्री का नाम अर्णोज्जा या प्रियदर्शिनी था । 

30 वर्षों तक धर्मप्रचार के उपरांत 468 ई . पू . में 72 वर्ष की आयु में पावा ( राजगृह के पास ) में मल्लराजा सृस्तिपाल के राजमहल में महावीर को निर्वाण ( मृत्यु ) प्राप्त हुआ ।

महत्वपूर्ण जैन तीर्थंकर एवं उनके प्रतीक 

तीर्थकर                         प्रतीक 

ऋषभदेव                          वृषभ 
अजितनाथ                       गज 
मल्लिनाथ                         कलश
(मिथिला नरेश  की पुत्री )
 नेमिनाथ                         नीलकमल 
पार्श्वनाथ                          सर्पफण  
 अरिष्टनेमि                        शंख  
 महावीर                            सिंह 

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