मा का प्यार

                        मा का प्यार 

 मेरा शीर्षक का नाम है ।    

बड़े से बड़े शब्द फिका पड़ जाता है इस शब्द से 

मेरा मा पापा भाई दीदी सभी लोग प्यार करते तो है 

पर जो मा के प्यार में है ना कहीं ज्यादा सा है 

वैसे सभी के मा अपने बच्चो को प्यार करते है 



चलिए मैं एक बात बताने जा रहा 

मैंने एक दिन क्या किया मैंने बिना खाना खाए स्कूल चला गया 

मुझे दुनिया में एक ही चीज दिखता वो है पढ़ाई 

मैं स्कूल में क्लास चल रहा था 



इतने में क्या देखता हूं कि मेरा मा आती हुई है स्कूल 

फिर टीचर से बोली कि मेरा बेटा मुकेश सोनवानी जो कि आज बिना खाना खाए स्कूल आया है तो में अपने बेटे को खाना के लिए लेने आया हूं 

फिर मा ने मुझे घर ले आया फिर खाना खिलाया और खूब डाटा भी 



फिर  मुझे दो पल के लिए गुस्सा आ रहा था कि कोई बात ह क्या क्या हुआ एक दिन नहीं खाना खाया तो 

फिर में फिर से स्कूल आ गया 

जब में सोचा मेरे लिए तो ये एक छोटा सा बात है और मेरे मा के लिए बहुत बड़ी बात है 



अपने काम को छोड़ कर मेरा खाना पीना का परवाह करती है 

मुझे बिना खाना खाए स्कूल गए सब मेरे पास आया और खाना तुरंत खिलाया 

सच में मा  बताती नहीं है  कि कितना प्यार करती है 

हर पल हर टाइम  हर जगह मा ही होता है जो हर पल परवाह करती 




दुनिया एक तरफ तो फामिल एक तरफ है 

सच ने दुनिया में कोई अपने आप से भी ज्यादा पयार करने वाली है तो वो है मा 

मा आपको मेरा प्रणाम है और मा आप ही तो  हमारे पहले गुरु, भगवान , दोस्त , पहला प्यार हो , अपने हम इस दुनिया में लाए 

आपको बारंबार प्रणाम है


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