प्यार का दर्द 01

हर रात की तरह आज भी वो मेरे पास आई थी 
हर बार की तरह पास आती है बाहों में भरती है 
रोम रोम में समा जाती है इतना बेचैन करके 
पूरा उमंग और जोश से भर देती है 
ऐसा लगता है मानो हर एक अंग को छू रही है 
मेरे अंदर समा गई है 
हर हिस्से को हिला दिया इतना बजबूर कर दिया पिघलने के लिए की की हर बार पिघल जाता हु 
वो पल को उनके बिना इतना अच्छा महसूस होता है बस उनका यादें और फिलिंग के साथ 
पूरा रोम रोम में प्यार और आनंद के ऐसी गुदगुदी करा दिया 
जब पूरा पिघल जाता हु और होश आता है की वो तो मेरे पास ही नही , सोचो कितना तकलीफ होता है यार 
जब आपको अपने पास नही मिलते हो तो 
अभी मॉर्निग में तो पूरा पिघला दिए पूरा चूर चूर कर दिए 
नही सह जाता है यार ये तड़प ये बेचैनी , 
सब कुछ कर के आंख खुलू तो आप नही दिखते बताओ ना कैसा लगता है , आपको लगेगा तब पता चलेगा , पर शायद आपको ऐसा कुछ नही होता , नही हुआ होगा कभी कहा समझोगी मेरा हाल 


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