प्यार का तड़प

प्यार का तड़प 
क्यों वो एक पल मुझे अपना बना लेती है 
और एक पल में ही इतना परायापन करती है 
कील की भाती चुभती है 
क्यों मुझे वो हर पल चाहिए 
 हर समय चाहिए
क्यों मुझे इतना उनसे प्रेम है 
ये तड़प कैसे है 
कभी कभी लगता है मानो वो मेरे से बहुत दूर हो रही या 
पूरी ही दूर हो गई 
मेरा हर सांस में सिर्फ वो हर नजर मे सिर्फ वो
उनको देखा तब से दूसरा ना भाता ना ही देखा 
मैं बहुत परेशान हु 
मैं क्या करू 

उनके लिए इतना तड़प है 
मैं छुट्टी के एक दिन पहले आया 
ना ही उनसे बात हुआ ना ही टिक से देखा 
कल रात जो भी कुछ हुआ 
मैंने रात भर टेंशन के कारण सोया नही सुबह होगा तो बात होगा अच्छा लगेगा 
पर सुबह से दोपहर हो गया 
दोपहर से शाम ना कॉल आया ना कोई खबर 
अब मैं क्या करू मैम 
वो मुझे अनजान और अजनबी की तरफ बरताव कर रही
उनको पता हर पल उनके लिए तड़प रहा है 
पर न वो मेरे लिए बाहर देखने आती ना ही मेरे लिए समय देती ना ही बात करती है उनको हर पल देखा बोला कॉल करो ना मेरा शुरू से बोलना है थोड़ा बात कर लो पर वो ना मेरा सुनता नही 
 वो क्या चाहती है क्या करना है मुझे नही पता 

क्या अब मैं उनके जिंदगी में कोई स्थान नहीं रखता 
क्या उनके हृदय में मेरे लिए प्रेम खतम हो गया 
या उनको कभी मेरे से प्रेम हुआ ही नही 
मेरा इतना व्याकुलता देख स्वाम को बहुत दुख होता है 
मेरे सामने खाना रखा है भूख लगा है 
पर खाना नही खिलाता 
मेरा घर गया सब लोग थे फिर भी भी मेरा मन दिल उनमें लगा 
जब इतना मुझे लगा रहा क्या मैम उनको ये बात पता है 
की मेरा इतना प्रेम है वो शायद अंदाजा भी नहीं लगाया होगा 
मैं तो सिर्फ और सिर्फ उनका हो गया और किसी का नही होना चाहता , ना ही सोच सकता और न ही मेरे से ही पाएगा पर वो क्यों नहीं समझती 

क्या मेरे हिस्से में दुख और तड़प ही लिखा है 
या 
भगवान और नियति यही चाहता है मेरे से 
उनका ये अनजान और अजनबी बरताव देख मुझे 
बहुत बुरा लग रहा 
पता नही क्या चला रहा उनका मन और दिल में 
क्या मुझे हमेशा के लिए एक तो नही हो सकते 
पर इस बरताव मुझे और भी ज्यादा तकलीफ दे रहा 
अब मुझे लगता है की 
अलग ही हो जाए हमेशा के लिए 
या नियति में उनसे दूरी और अलग ही लिखा होगा 
या हमेशा के लिए भूलना लिखा 
शायद ये संभव तो नही पर 
ये करना पड़ेगा 
क्योंकि मुझे अब उनके आंख में वो तड़प और वो प्यार नजर नही आती ना ही अपनापन का अहसास दिलाता है 
उनका शायद खुशी मेरे दूर जाने में है 
तो ये दूरी सहने के लिए तैयार हु 

अब मैं जैसा भी रहु अब रहना पड़ेगा 
अगर नियति में लिखा तो 
दूरी ही सही 
क्योंकि मुझे अपने आप से ज्यादा उनका खुशी प्यारा है 
वो खुश तो मैं खुश 
शायद ये फैसला से आप भी खुश होंगे 
मेरा प्रेम जैसा पहले था उनसे कही और ज्यादा आज हो गया है 
पर अब मुझे लगता है की उनका प्रेम या तो बहुत कम हो गया या मजबूरी वाला प्रेम हु गया है 
पर मुझे ये मंजूर नहीं की मेरा प्रेम मजबूरी की तरह हो 
जब से मिला है वो अब लगता है मानो उनसे साथ हाथ में हाथ पकड़ कर चालू पर 
मुझे उनसे दूर होना ही पड़ेगा 
हमेशा के लिए 
ये मेरा फैसला शायद सही है मेरे लिए नही उनके लिए
क्यों की जिस प्रेम की छवि उनमें मेरे प्रति अब नही रहा 

मैं ये चाहता हु की ये बात आप खुशी खुशी बताए और 
और इस फैसले में उनको भी सहमति हो जाए 
क्योंकि उनका खुशी में ही मेरा खुशी है 
उनकंहार एक बात मैने एक बार में ही माना हर चीज किया जो उनको खुशी मिले 
शायद इस फैसले में उनके लाइफ में खुशियां फिर से लौट आए 
मुझे नही पता की में उनके बिना कैसे रहूंगा या कैसे रह पाऊंगा या 
100 बात की एक बात बिलकुल नहीं रह पाऊंगा 
पर क्या करू  
शायद ये मेरा किस्मत या नियति में ऐसा लिखा है 
क्योंकि मेरा एक अकेला के चाहने से एक तो नही हो सकते 
क्योंकि एक और उनका मजबूरी मेरे से दूर ले जाता है 
और मेरा प्रेम उनके और अधिक पास खींच लाता है 
बहुत बड़ी दुविधा में फस गया 
अगर इस फैसले में उनका 100 परसेंट हा ही होगा 
क्योंकि वो चाहती ही है 
बस मेरे कारण अब उनका काम आसान हो गया 

उनसे कहिएगा की मेरे साथ बिताए हर पल हर लम्हा 
मेरे साथ चले हर कदम को भूल जाए
 या जला दे मन और दिमाग से
क्योंकि उनका भलाई इसी में है 
उनका सुख इसी में है 

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