सच्चा प्यार का दर्द

दुनिया को मैं काफी हद तक मतलबी और धोका देने वाला समझता था , मैं तो अपने आप में खुश था , 
ना किसी का परवाह न किसी से मतलब , बस अपने आप और अपने फैमिली में खुश , एक दिन ऐसा आया की कोई ऐसे दुनिया में ले गया , 
वहा मैं बस खो गया , वो जो मुझे अपने दिखाता गया मैं वो देखते गया , मुझे लगा ये कोई इत्तेफाक है या किस्मत की लकीरों की खुशियां है , बाद में पता चला मैं सिर्फ और सिर्फ एक कटपुतली की तरह नाच रहा , 
उनके इसारो में , में तो भटक गया , आदत सा अपना बना लिया , सब टिक है कुछ बिगड़ा नही है , कहा मैं दूसरो में खुशियां खोजने निकला और उनके खुश करने के चक्कर में , में पिसता रहा , रात कैसे कटती है , 
तकलीफ क्या होती है मुझसे पूछो , अब बहुत हो गया ढोंग करना तेरा , बहुत हो गया बनौटी बाते करना , बहुत हो गया फालतू प्यार का दिखावा करना , तुम्हारे पास में रहना सुकून लगता पर अब तकलीफ हो गया , दूर रहने से पता चला मेरे बिना अच्छे से रह लेते हो ,
 खुश हो तो मैं क्यों तेरे पीछे जाऊ , अब मुझे किसी से कोई वास्ता नहीं न कोई मतलब है , जो चीज पहले सोचता दुनिया के बारे में सच है। लोग अपना बनाते है ताकि अपना काम निकले और काम निकल गया तो तू कौन और मैं कौन , 
अब मुझे उनसे दूर होके सुकून लगा बहुत ज्यादा , काश ये सब पहले क्यों नहीं सोच पाया , इतना तकलीफ ना उठानी पड़ती , पर कोई बात नही , 
यही तो वजह है जो लोगो की असलियत पता चलता है , चेहरे में झूठा चेहरा छुपाए रहते है शर्म भी नही आते है लोगो को 

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